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असली पारद शिवलिंग Real Parad Shivling

प्राचीन शिव ग्रन्थों मे कहा गया है की अष्ट संस्कारित पारद से निर्मित पारद शिवलिंग का पुजन करने से संसार के सारे भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है।

काफी समय से बाज़ार मे पारद शिवलिंग के नाम पास नकली या असंस्कारित अशुद्ध पारद के बने शिवलिंग बिक रहे हैं। इनको घर मे रखने से लोग कैंसर जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। तो असली पारद शिवलिंग की पहचान होना अत्यधिक आवश्यक है।

  • असली पारद शिवलिंग की पहली पहचान यह है कि यदि इसे हथेली पर घिसा जाए तो इसमें से कालिख नहीं निकलती है। अन्यथा इसका अष्ट संस्कार नही हुआ है.
  • असली पारद शिवलिंग की दूसरी पहचान यह है कि यह स्वर्ण ग्रास अवश्य करेगा. अन्यथा या पारद का बना हुआ ही नही है
  • असली पारद शिवलिंग की तीसरी पहचान यह है कि यह इतना शुद्ध होता है की यदि इसको उबलते हुये दूध मे भी डाला जाए तो या दूध को खराब नहीं करता है. अशुद्ध पारद शिवलिंग बेचने वाले आपको जलाभिषेक का प्रसाद पीने से मना कर देंगे।
  • असली पारद शिवलिंग की चौथी पहचान यह है कि यदि इसके उपर द्रव पारा डाला जाए तो यह काँच जैसा चमकने लगेगा और द्रव पारा इसमे से आर पार निकाल जाएगा।

यदि कोई आपको उपरोक्त गुणो के बिना पारद शिवलिंग देता है तो उसे कतई न लें। क्यूंकी घातक बीमारियों का शिकार होने के अलावा आप उससे कोई लाभ प्राप्त न कर पाएंगे। Read more

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मंत्र, तंत्र, यंत्र, अनुष्ठान

मात्र गुरु शिष्य प्रणाली से दीक्षित और शिक्षित साधक ही यजमान को उसकी समस्या के अनुसार यंत्र, मंत्र या तंत्र संबंधी उपाय बताने मे सक्षम होता है। आचार्य सचीन्द्र अपने गुरुदेव की कृपा से साधनाओं के माध्यम से यंत्र, मंत्र, तंत्र, अनुष्ठान, हस्तरेखा, मस्तकरेखा और वास्तु शास्त्र के माध्यम से यजमान की समस्या का समाधान सबसे विश्वसनीय मार्ग से करने मे सक्षम हैं। Read More

अष्ट संस्कारित पारद

असली अष्ट संस्कारित पारद और उससे निर्मित नवपाषाण, अष्टधातू आदि से नितमित सामग्री

पारद शिवलिंग

जब प्रकृति में पाए जाने वाले पारद (Mercury Metal) को अष्ट संस्कार के द्वारा शुद्धतम अवस्था में पहुंचा दिया जाता है तो वह अमृततुल्य और पूजनीय हो जाता है। इस से निर्मित शिवलिंग को पारद शिवलिंग या पारदेश्वर महादेव कहते हैं।

पारद शिवलिंग बनाने के लिए अष्ट संस्कारित पारद में निश्चित अनुपात में चांदी स्वर्ण या हीरक का प्रयोग किया जाता है। कम कीमत रखने के लिए सर्वाधिक रूप से पारद और चांदी मिश्रित शिवलिंग बनाए हैं। शास्त्रों में पारद शिवलिंग को सर्वाधिक प्रभावशाली बताया गया है और ऐसा कहा गया कि इसके दर्शन मात्र से अनंत यज्ञों का फल प्राप्त होता है। ऐसा वर्णित है कि जिस घर में भी पारद शिवलिंग स्थापित हो वहां साक्षात भोलेनाथ निवास करते हैं और केवल भगवान शिव ही नहीं माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का भी उस स्थान पर वास होता है। Read more

नवपाषाणम गुटिका

नवपाषाण, मूल रूप से दो शब्दों से मिल कर बना है। नव + पाषाण = नवपाषाण :: नव, यानि की नौ (Nine) पाषाण, यानि की पत्थर (रत्न)| नवपाषाणम का निर्माण गोरक्ष संहिता में वर्णित 9 दिव्य रत्नों को एक साथ मिलाकर पारद से सायुज्जिकरण करके दिव्य जड़ी बूटियों के रस से एकाकार कर किया जाता है।

नवपाषाणम ब्रहमांड की दुर्लभतम वस्तुओ में से एक है । इसको धारण करने वाले जातक को तीव्र अध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते है। नवपाषाणम से विशेष प्रकार की प्रबल उर्जा तरंगे निकलती है जिसे कुछ ख़ास उपकरणों से नापा जा सकता है। नवपाषाणम गुटिका को गले या कलाई में धारण करके इसका लाभ उठाया जा सकता है. इसको धारण करके ध्यान लगाने से साधक के प्रभामंडल में सकारात्मक एवं दिव्य परिवर्तन होने लगते हैं. उसके प्रभामंडल का विस्तार होने लगता है. इसके साथ ही उसकी कुंडलिनी में जागरण क्रिया प्रारंभ होने लगती है. Read more

पारद माला

पारद मणकों की माला से जाप करने पर न केवल जहां एक तरफ मंत्र सिद्धि सरल हो जाती है वहीं माला को गले में धारण करके ध्यान लगाने से साधक के प्रभामंडल में सकारात्मक एवं दिव्य परिवर्तन होने लगते हैं. उसके प्रभामंडल का विस्तार होने लगता है. इसके साथ ही उसकी कुंडलिनी में जागरण क्रिया प्रारंभ होने लगती है.

27, 54 अथवा 108 मणकों की माला उपलब्ध Read more

नवपाषाणम माला

नवपाषाणम के मणकों से बनी बनी माला को धारण करने से उच्च स्तर के अध्यात्मिक एवं आयुर्वेदिक लाभ उठाये जा सकते हैं .

54 अथवा 108 मणकों की माला से जाप करने पर न केवल पारद माला के लाभ मिलते हैं अपितु नौ दिव्य प्राकृतिक रत्नों की उर्जा का लाभ भी मिलने लगता है. इस माला को गले में धारण करके ध्यान लगाने से साधक के प्रभामंडल में सकारात्मक एवं दिव्य परिवर्तन होने लगते हैं. उसके प्रभामंडल का विस्तार होने लगता है. इसके साथ ही उसकी कुंडलिनी में जागरण क्रिया प्रारंभ होने लगती है. Read more

अष्टधातु

अष्टधातु , अर्थात : आठ धातुएँ | यह एक मिश्रधातु है जो हिन्दू और जैन प्रतिमाओं के निर्माण में प्रयुक्त होती है। जिन आठ धातुओं का निर्माण इसमें किया जाता है, वह हैं- सोना, चाँदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा (रस) की गणना की जाती है। एवं सभी धतुओं की मात्रा सामान होनी चाहिए। ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक धातु में स्वयं की ऊर्जा होती है, धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किये जाएं तो इनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है अन्यथा धातु विपरीत प्रभाव भी देता हैं। अष्टधातु हिन्दुओं के लिए एक अत्यंत शुभ धातु है। प्राचीन काल से ही अष्टधातु का उपयोग प्रतिमा निर्माण में भी होता रहा है। इसके अलावा अष्टधातु का प्रयोग रत्न को धारण करने के लिए भी होता था। Read more

अनुभवी आचार्यों द्वारा समस्या निवारण अनुष्ठान

समस्याओं के निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान

दक्षिणा 5100 से प्रारम्भ

अनेक बार जातक की समस्या का मार्ग विशेष अनुष्ठान द्वारा दैवीय कृपा प्राप्त करके ही संभव होता है. ऐसे मे आचार्य सचीन्द्र द्वारा विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। अनुष्ठान निश्चित समायावधि मे पूरा करने हेतु सक्षम और योग्य पंडितों की व्यवस्था "शिवशक्ति ज्योतिष एवं पराविज्ञान केंद्र " द्वारा की जाती है।

  • अनुष्ठान का स्थान यजमान का गृह, शिवालय, हरिद्वार मे गंगाजी के तट पर या अन्य शक्तिस्थल पर किया जा सकता है .
  • गायत्री, महाशक्ति, सदाशिव, भगवान नारायण या महालक्ष्मीआदि शक्तियों की कृपा हेतु न्यूनतम सवा लाख मंत्र जाप का अनुष्ठान किया जाता है.
  • पितरों, क्षेत्रपाल, कुलदेवी, विभिन्न ग्रहों की शांति कृपा हेतु आचार्य द्वारा निर्देशित संख्या मे मंत्र अनुष्ठान किया जाता है.

अनुष्ठान दिखने मे कठिन होते हैं किन्तु योग्य आचार्य द्वारा किए जाने पर त्वरित शुभ फल देने मे सक्षम होते हैं। Read more

शांति जाप

दक्षिणा 5100 से प्रारम्भ

किसी गृह मे अकाल मृत्यु होने, पितरों के कुपित होने, प्रेत बाधा से ग्रसित होने आदि अनेक कारणों से कई बार त्वरित रूप से शांति जप कराना आवश्यक हो जाता है ।

  • स्थान आमतौर पर गृह, धार्मिक स्थल या गंगा जी आदि पवित्र नदियों का तट होता है.
  • शांति पाठ करने वाले आचार्य को प्रत्येक अवस्था मे संबन्धित मंत्र का पुरश्चरण किया होना चाहिए अन्यथा शांति जाप फलदायी नहीं होता.
  • इसमे आमतौर पर सवा लाख या निर्दिष्ट संख्या का जप, हवन और दान आवश्यक होता है.

शांति पाठ किसी अनुष्ठान जैसा ही लगता है किन्तु यह उससे सर्वथा भिन्न और गोपनीय प्रणाली से किया जाता है। Read more

मुहूर्त आधारित अनुष्ठान

कीमत 2100 से प्रारम्भ

विवाह, किसी प्रतिष्ठान के शुभारंभ, भूमि पूजन, जन्मदिवस, पुण्यतिथि आदि पर किए जाने वाले दिखने मे सामान्य मुहूर्त आधारित अनुष्ठान भी यदि योग्य आचार्य द्वारा उचित विधान से न किए जाए तो यजमान का भविष्य ही बिगाड़ सकते हैं.

  • इन अनुष्ठानों के लिए आचार्य को मुहूर्त, जातक-स्थान-कार्य के नक्षत्र और उनका मिलान करना आना अत्यंत आवश्यक है.
  • अनुष्ठान के अनुसार आचार्य को गृहस्त या ब्रहमचारी होना आवश्यक है .
  • कम दक्षिणा का लालच देकर अनुष्ठान लेने और फिर उसको सूक्ष्म बनाने वाले पुरोहित अपने यजमान के लिए काल समान ही होते हैं.

शिवशक्ति ज्योतिष एवं पराविज्ञान केंद्र द्वारा प्रामाणिक सामग्री, योग्य आचार्य और उचित दक्षिणा मे सभी प्रकार के अनुष्ठान का आयोजन्न किया जाता है। Read more

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हमारे आचार्य

अधिक से अधिक लोगों को सनातन परंपरा के ज्ञान का लाभ मिले इसके लिए आवश्यकतानुसार आचार्य सचीन्द्र अन्य योग्य साधकों, आचार्यों की टीम उपलब्ध कराते हैं.

आचार्य सचीन्द्र

ज्योतिष विद्या विशारद (काशी), वास्तु शास्त्री (ओडिशा), हस्तरेखा-यंत्र-तंत्र विशेषज्ञ

आचार्य विपिन शास्त्री

शास्त्री, अनुष्ठानकर्ता

आचार्य डॉ संदीप

मंत्रज्ञ

अंकिता भटनागर

केंद्रीय अधिकारी

पिछले 15 से भी अधिक वर्षों से मैं और मेरा परिवार आचार्य सचीन्द्र के सरल किन्तु अनमोल उपायों का लाभ उठा रहे हैं।

दिव्य श्रीवास्तव

शिक्षिका

आचार्य सचीन्द्र द्वारा स्थापित यंत्रों और उपायों के द्वारा मैंने और मेरे परिवार ने प्रत्येक समस्या से सरलता से निजात पायी है।

वतन रस्तोगी

व्यवसायी

आचार्य सचीन्द्र द्वारा मेरे परिवार को उस प्रेतबाधा से मुक्ति मिली जिससे परेशान होकर अनेकों जगह हम भटके थे .

विजय अवस्थी

Freelancer

पहले मैं ज्योतिष और ऊपरी बाधा आदि को महज ढोंग समझता था. किन्तु वर्ष 2005 मे मेरे परिवार मे ऐसी समस्याओं से घिरने के बाद और काफी कुछ प्रत्यक्ष देखने के बाद हम काफी जगह भटके। फिर शिवजी की कृपा से आचार्य सचीन्द्र से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हमारी समस्याएँ जिनहे काफी भगत तो समझ भी न सके थे, आचार्य जी के सरल उपायों से ही दूर हो गयी।

जोगिंद्र खन्ना

Entrepreneur

कपड़े की दूसरी नयी फैक्ट्री डालने के बाद लगातार नुकसान होने लगा। इंटरनेट से काफी कुछ जाना। फिर आचार्य सचीन्द्र से भेंट हुई। इन्होने फ़ैक्टरी की जगह देख कर उसके वास्तु दोष ठीक कराये। सब ठीक हो गया। अब मैं इनके निर्देशन मे ही चौथी फ़ैक्टरी लगा चुका हूँ.

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